Friday, February 7, 2014

क्रिकेट बदलेगा भोजपुरी सिनेमा को - विक्रांत सिंह


फिल्म और क्रिकेट दोनों को एक साथ जीने वाले विक्रांत सिंह को स्टार या सुपर स्टार कहलाने से परहेज है। वह मानते हैं कि भोजपुरी को इस समय सिर्फ एक्टर चाहिए, जो बेहतर फिल्में देकर सिनेमा को बेहतर छवि दे सके। इन्होंने अब तक 20-22 फिल्मों में काम किया है। उनमें 16 फिल्में रिलीज हुई हैं। 

सेलेब्रिटी क्रिकेट लीग से भोजपुरी इंडस्ट्री की छवि में कितने बदलाव की उम्मीद है? 
भोजपुरी इंडस्ट्री को लेकर गलत छवि बनी हुई थी। कह सकते हैं कि कुछ लोगों ने बना दी है। इसके एक्टर, प्रोडय़ू सर औ र डायरेक्ट को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता। मगर क्रि केट लीग में ‘भोजपुरी दबंग‘ टीम के आने के बाद स्थिति में परिवर्तन हुआ। मैदान में हमारा बोलना, खेलना औ र जुझारूपन सबको हैरान कर गया।
  बाकी भाषाओं के एक्टरों ने कभी भोजपुरी फिल्मों के बारे में जानने या फिल्में देखने की इच्छा व्यक्त की?
वे हमारे सिनेमा के बारे में जानना चाहते हैं लेकिन मीडिया में हमारी उपस्थिति नगण्य है। टीवी चैनलों पर भी भोजपुरी को जो जगह मिलनी चाहिए, नहीं मिल रही है। वे चैनल सर्च करते हैं लेकिन दुखद बात है कि कुछ छोटे चैनल हैं, जहां भोजपुरी गाने आते हैं। मगर ज्यादातर वे अश्लील टाइप के गाने होते हैं। हालांकि भोजपुरी में भी अच्छे गाने हैं। इस मामले में भोजपुरी सिनेमा अनलकी रहा है कि वह बिगड़ी हुई इमेज के साथ जी रहा है। अश्लील-घटिया फिल्में और भी भाषाओं में बनती हैं। लोग उन पर कोई कमेंट इसलिए नहीं करते कि ऐसी फिल्मों की संख्या कम है और उसके दर्शक भी अलग हैं। भोजपुरी मेकर्स और एक्टर्स को अपनी ही नब्ज पर हाथ रख अपनी बीमारी की परख की जरूरत है। बड़े सितारों को भी अपना रवैया बदलना पड़ेगा। अगर नहीं बदला तो दोनों को नुकसान होगा- इंडस्ट्री को भी और स्टारों को भी।
  आप अपने स्तर से कोई पहल क्यों नहीं करते? 
यह किसी एक से संभव नहीं है। सामूहिक जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्हें हिन्दी के एक्टरों से सीखना होगा कि वे आलोचना का बुरा नहीं मानते। आलोचना को वे सुधार के लिए इस्तेमाल करते हैं। ताजा उदाहरण सलमान भाई का है, जिन्होंने ‘जय हो‘ के कम बिजनेस की पूरी जिम्मेदारी खुद पर ले ली। मैं मानता हूं कि भोजपुरी इंडस्ट्री क्रि केट के बहाने जिस तरह देश की मुख्यधारा में शामिल हो रही है, उससे माहौल बदलेगा। सबमें अच्छी फिल्में करने की ललक जागेगी क्योंकि अगले साल क्रि केट के मैदान में लोग फिर पूछेंगे कि 2014 में किसने-क्या किया, तो उन्हें ईमानदारी से जवाब देना होगा। इज्जत बनानी है तो दूसरों से सीखना होगा। क्रि केट के मैदान पर हमारा आत्मविश्वास जितना मजबूत होता है, उससे बाकी टीमें भी तो देख-सीख रही हैं। udaybhagat@gmail.com

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