
आप सभी को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम . सबसे पहले आप सभी को होली मुबारक क्योंकि मेरी अगली मुलाकात आप लोगो से होली के बाद ही होगी . जम के होली खेलिए पर ध्यान रहे आपके रंग किसी के जीवन को बदरंग ना कर दे . अभी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शूटिंग कर रहा हूँ और खुशनुमा माहोल में आपसे मुखातिब हो रहा हूँ , क्योंकि इस साल की मेरी पहली भोजपुरी फिल्म गंगा जमना सरस्वती आज मुंबई में रिलीज़ हुई है और होली पर यह फिल्म बिहार में रिलीज़ हो रही है . मुझे मुंबई से लगातार बधाई के फोन आ रहे हैं की फिल्म को बहुत ही अच्छी शुरुवात मिली है . खैर , इस बारे में थोड़ी देर बाद आपसे बात करूँगा पहले पिछले हफ्ते की कुछ महत्वपूर्ण खुशखबरी आपको बता दूं . आप लोगो को तो पता ही है की मैं पिछले कई सप्ताह से दिल्ली में अपनी फिल्म बजाते रहो की शूटिंग कर रहा था . कुछ दिन पहले ही देश के एक बड़े मिडिया ग्रुप ने रीजनल सिनेमा पर एक सेमीनार का आयोजन किया था . भोजपुरी फिल्म जगत की तरफ से मुझे वहाँ सम्मानित किया गया . यही नहीं दिल्ली सरकार के कला सांस्कृतिक विभाग के अधीन आने वाली संस्था मैथिली भोजपुरी अकादमी की तरफ से भी पिछले सप्ताह एक भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ था जिसमे दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और हेल्थ मिनिस्टर किरण वालिया भी मौजूद थी . काफी अच्छा माहोल था वहाँ क्योंकि सारे के सारे लोग हमारे कार्यक्रमों का आनंद उठा रहे थे . अब बात करते हैं गंगा जमना सरस्वती की . जिस तरह इलाहाबाद में तीनो नदियों का संगम होता है उसी तरह इस फिल्म के माध्यम से भी निर्माता आलोक कुमार और निर्देशक हैरी फर्नांडिस ने भोजपुरी के तीन बड़े कलाकारों को एक साथ लाकर भोजपुरी की अब तक की सबसे बड़ी फिल्म का निर्माण किया . आलोक कुमार के साथ यह मेरी दूसरी फिल्म है . वो भोजपुरी के बड़े निर्माता माने जाते हैं . उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुवात मेरे साथ ही की थी . उनकी पहली फिल्म राज़ा भोजपुरिया में मैं ही हीरो था . निर्देशक हैरी के साथ मेरा पुराना रिश्ता रहा है . उनके साथ मैंने विधाता, संतान, रामपुर के लक्षमण के साथ साथ मेरी पहली मराठी फिल्म मध्यमवर्ग के निर्देशक भी वो ही है . मैं उन दोनों को बधाई देता हूँ की उनकी मेहनत का फल आज उन्हें मिल रहा है . इस फिल्म में कई बाधाएं आई लेकिन अलोक कुमार ने हार नहीं मानी . मैं सुजीत तिवारी का विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहूँगा क्योंकि आज अगर ये फिल्म सिनेमाघरों में पहुची है तो उनका भी इसमें बड़ा योगदान है . मुझे अच्छा लगता है उनके बारे में सुनकर की उनकी वजह से आज कई फिल्मे संकट से उबर चुकी है . मैं आज उन्हें एक नया नाम देना चाहता हूँ - वो भोजपुरी फिल्मो के संकट मोचन हैं . फिल्म उनका पेशा नहीं शौक नहीं बल्कि जूनून है . . ऐसे जुनूनी सुजीत जी को मेरा प्रणाम . आज मैं एक और शख्स का जिक्र करना चाहूँगा - वो हैं अभय सिंह . जिन्होंने पिछले सप्ताह ही अपनी सिल्वर जुबली फिल्म की शुरुवात की है . मैं उनके इस कार्यक्रम का हिस्सा था . मैं दुआ करता हूँ की वो अपनी फिल्मो की गोल्डन जुबली भी पूरी करे . उनके केम्प में अनिल अजिताभ जैसे गुणी लोग है . अंत में चलते चलते मैं आप लोगो से गुजारिश करता हूँ की आप गंगा जमना सरस्वती का मजा लें. बिहार के दर्शको को होली में इस फिल्म का आनंद मिलने वाला है . इस फिल्म में रानी चटर्जी मेरे अपोजिट हैं . होली के अवसर पर मेरी एक और फिल्म आ रही है साली बड़ी सतावेली . उस फिल्म में भी रानी मेरे साथ है . उस फिल्म में भी आपको भरपूर मनोरंजन मिलेगा . अगले सप्ताह फिर मुलाकात होगी . एक बार फिर होली की ढेर सारी बधाई . मेरा यह स्तम्भ आप हर शनिवार मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में पढ़ सकते हैं .
आपका
रवि किशन
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