Friday, March 22, 2013

मनोरंजन का संगम - गंगा जमना सरस्वती

भोजपुरी फिल्म जगत की बहुप्रतीक्षित फिल्म गंगा जमना सरस्वती आखिरकार रिलीज़ हुई . पहली बार किसी भोजपुरी फिल्म में भोजपुरी के तीन बड़े सितारे रवि किशन, मनोज तिवारी और निरहुआ एक साथ नज़र आये हैं. संयोगिता फिल्म्स के बैनर तले निर्मित इस फिल्म के निर्माता आलोक कुमार व कथा - पटकथा व निर्देशन हैरी फर्नांडिस का हैं. संगीत राजेश रजनीश का है . कहानी - गंगा ( मनोज तिवारी) एक कर्मठ पुलिस अधिकारी हैं, जिनका सामना होता है टीनू आनद व उनके भाई अवधेश मिश्रा से जो उस इलाके के बाहुबली है . जमना प्रसाद ( रवि किशन ) अपने गाँव का एक लोकप्रिय युवक है . टीनू आनंद उस गाँव की जमीन को हथियाना चाहता है और रवि किशन को झांसे में लेता है लेकिन समय रहते रवि किशन को सच्चाई का पता चल जाता है . सरस्वती चन्द्र ( निरहुआ ) बचपन में अपनी माँ से बिछड़ कर एक परिवार के साथ रहता है और टीनू आनंद के करीबी वकील अनूप अरोड़ा की बेटी पाखी हेगड़े से प्यार करता है . टीनू आनद अपने भाई अवधेश की शादी पाखी से कराना चाहता है . एक नाटकीय घटनाक्रम में अवधेश उस परिवार की हत्या कर देता है और इलज़ाम निरहुआ पर लगा देता है. रिंकू घोष कमिश्नर की बेटी है जो मनोज तिवारी से तथा रानी चटर्जी एक अनाथ लड़की है जो रवि किशन से प्यार करती है . जमना और सरस्वती का आमना सामना उसी जेल में होता है जहाँ गंगा विशेष पुलिस अधिकारी बनकर नियुक्त होते हैं . तीनो का मकसद एक होता है टीनू आनंद के बाहुबल को समाप्त करना . तीनो मिलकर इस काम को अंजाम देते हैं. निष्कर्ष - गंगा जमना सरस्वती भी आम भोजपुरी फिल्म की श्रेणी में है . तीन बड़े स्टार्स का साथ होना , निर्देशक का तकनिकी रूप से मजबूत होना व फिल्म निर्माण में सभी आवश्यक खर्च के कारण यह फिल्म आम फिल्मो से ऊपर उठ जाती है . निर्माता अलोक कुमार ने फिल्म की भव्यता पर ख़ासा ध्यान दिया है जो फिल्म में दिखता है . कहानी साधारण बदले की कहानी है पर पटकथा की मजबूती के कारण फिल्म के प्रति दर्शको में रोमांच पैदा होता है . अभिनय के लिहाज से तीनो बड़े सितारे , टीनू वर्मा, अवधेश मिश्रा सहित सभी ने अच्छा काम किया है . पर चुटीले संवाद के कारण रवि किशन दर्शको की तालियाँ बटोरने में सफल रहे हैं. एक्शन दृश्यों में निरहुआ फिट बैठे हैं खासकर उनकी इंट्री वाले दृश्य में . लम्बे अरसे बाद मनोज तिवारी को परदे पर देखना दर्शको को अच्छा लगेगा . खलनायकों में टीनू वर्मा व अवधेश मिश्रा दोनों ने ही अपने रोल के साथ न्याय किया है . बात अभिनेत्रियों की की जाये तो रानी चटर्जी और रिंकू घोष के जिम्मे करने के लिए कुछ ख़ास नहीं है फिर भी वो वो अपने रोल में फिट हैं . पाखी हेगड़े निरहुआ की कहानी की केंद्र विन्दु हैं इसीलिए उनको उनकी काबिलियत दिखने का भरपूर मौका मिला है और उसमे वो सफल भी रही है . फिल्म के कम से कम तीन दृश्य आउट ऑफ़ फोकस है जो फिल्म की भव्यता में मलमल पर टाट का पेवन्द की तरह लगता है . फिल्म में निरहुआ का अपनी माँ से मिलने वाला दृश्य काफी इमोशनल है . फिल्म का संगीत पक्ष अच्छा है . संतोष मिश्रा का संवाद उनकी इमेज के अनुरूप नहीं है . कुल मिलाकर, गंगा जमना सरस्वती एक मनोरंजक फिल्म है जो दर्शको को बंधने में सफल रही है . udaybhagat@gmail.com

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