Saturday, January 26, 2013
Ravi Varta .. जरा याद करो क़ुरबानी
आप सभी आपके अपने रवि किशन का प्रणाम . सबसे पहले आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये . 26 जनवरी 1950 का दिन हम सम्पूर्ण भारत वासियों के लिए ख़ास रहा है क्योंकि हमारा संविधान इसी दिन अस्तित्व में आया . भारत 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्र राष्ट्र बन चुका था, लेकिन इस स्वतंत्रता की सच्ची भावना को प्रकट किया 26 जनवरी 1950 को . देश को आजाद करने में अपना तन मन धन न्योछावर कर देने वाले देशभक्तों ने हमें गुलामी की जंजीर से मुक्ति दिला दी थी . बरसो तक गुलामी की सांस के बाद जब आजादी की हवा तन मन को लगी तो सबसे पहले जरुरत पड़ी अपने आजाद देश के संविधान की . आखिरकार देश के बुद्धिजीवियों की मेहनत रंग लायी और हमारा लिखित संविधान दुनिया के सामने आया . आज गणतंत्र दिवस पूरे देश में बहुत उत्साह और विशेष रूप से राजधानी में एक साथ मनाया जाता है, नई दिल्ली जहां समारोह में देश के राष्ट्रपति के साथ शुरू करते हैं. इस अवसर की शुरुआत हमेशा के बलिदान की पवित्र याद दिलाते हैं जो शहीदों स्वतंत्रता आंदोलन में देश के लिए शहीद हुए और अपने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सब कुछ देश को अर्पण कर दिए . यह हमारे लिए गौरब की बात है संवैधानिक देश में पहली बार झंडा फहराने का श्रेय भोजपुरिया माती के लाल डॉ . राजेंद्र प्रसाद को जाता है . उन्होंने तब इर्विन स्टेडियम जाकर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और इस तरह गणतंत्र के रूप में भारतीय संविधान प्रभावी हुआ . उसी दिन से हमारे देश के बहादुरों को सम्मनित करने की परंपरा भी शुरू हुई . गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय त्यौहार है और हम हर्ष और उत्साह से इस त्यौहार को मानते हैं पर इस त्यौहार को हमें मनाने का अवसर जिन लोगो ने दिया उन्हें हमें भूलना नहीं चाहिए . उनलोगों ने तो देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ खो दिया लेकिन हम क्या कर रहे हैं देश के लिए, समाज के लिए , परिवार के लिए ? महापुरुषों ने तो हमें आजादी दिला दी पर अब हमारा कर्त्तव्य बनता है की हम इस आजादी को बरकरार रखें . हम विदेशी आतंकवादियों के निशाने पर है , वो देश को , समाज को बांटने की फिराक में लगे रहते हैं . अगर हम एक जुट ना हों तो उनका मंसूबा कामयाब हो जायेगा . आज देश में अस्थिरता का माहोल है . हमें उसका सामना करना होगा और यह तभी संभव है जब हम भेद भाव भुलाकर एक दुसरे के बारे में अच्छा सोचें . अपना पराया का भेद जिस दिन मिट जायेगा उस दिन चारो और खुशहाली आ जाएगी . हमें विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने का गर्व है। हमारा लोकतंत्र काफी परिपक्व हो चूका . लोगो को अब लोकतंत्र की अहमियत समझ में आने लगी है। सिर्फ लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही व्यक्ति खुलकर जी सकता है। स्वयं के व्यक्तित्व का विकास कर सकता है और अपनी सभी महत्वाकांक्षाएँ पूरी कर सकता है। जो लोग यह सोचते हैं कि इस देश में तानाशाही होना या कट्टर धार्मिक नियम होने चाहिए वे यह नहीं जानते कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में क्या हुआ . इसीलिए हमें सोचना होगा की हम कोई ऐसा काम न करें जिस से हमारा लोकतंत्र कमजोर हो . हमें कसम खाना होगा की हम गाँधी , नेहरू, नेता जी, भगत सिंह, जैसे महापुरुषों के देश में रहते हैं . हमें उनकी कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए . मोह माया , पैसा , गाडी , बंगला सब तात्कालिक चीज़े है जो कुछ दिनों तक हमें हमारी समृधि का अहसास दिलाते हैं . जब हम दुनिया को अलविदा कहेंगे तो लोग यह नहीं कहेंगे की वो कितना समृद्ध था , लेकिन हाँ अगर हमने कुछ अच्छा काम किया तो उसकी अनुभूति लोगो के जेहन में हमेशा रहेगी .अंत में यही कहूँगा जिन्दगी मात्र कुछ बरसो की है आइये हम कुछ ऐसा करें की हमारी आने वाली पीढ़ी हमें याद रख सके
अगले शनिवार फिर आपसे बात होगी ...
आपका
रवि किशन
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