मुम्बई। इस साल भोजपुरी पंचायत 'सबरंग फ़िल्म अवार्ड' 3 सितम्बर को मुंबई में होने जा रहा है। जिसमे भोजपुरी और हिंदी फिल्मों के कलाकार शिरकत करेंगे और अपने जलवे बिखेरेंगे और फ़िल्मी कलाकारों का सम्मान किया जायेगा। सबरंग में हिस्सा लेने कई अंतर्राष्ट्रीय कलाकार आ रहे है, यूके, मस्कट, दुबई, बैंकाक और मॉरीशस के प्रतिनिधि कार्यक्रम की शोभा बढयेंगे।
> भोजपुरी की एक अपनी पहचान है। भोजपुरी साहित्य की एक अपनी पहचान है। बात साहित्य की हो, समाज की हो, पत्र-पत्रिकाओं की हो, संस्कृति की हो या सिनेमा की, अपने हर रूप में भोजपुरी ने अपना चटक रंग सब पर डाला है। इसी क्रम में पिछले चार वर्षों से भोजपुरी-पंचायत पत्रिका प्रकाशित होती है। चाहे आप पत्रिका का कलेवर देंखे या विषय-वस्तु, हर स्तर पर पत्रिका अपनी सजग दृष्टि डालती नजर आती है। उसी क्रम में 'भोजपुरी-पंचायत' अपना वार्षिकोत्सव 'सबरंग' आयोजित करती है। प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष का 'सबरंग' 3 सितम्बर को नवीन भाई ठक्कर ऑडिटोरियम, विले पार्ले, मुम्बई आयोजित किया जा रहा है। 'भोजपुरी-पंचायत' के संपादक और 'सबरंग' के आयोजक श्री कुलदीप श्रीवास्तव के अनुसार इस बार का आयोजन कुछ विशेष है। निश्चित ही सबरंग एक ऐसा आयोजन है, जहाँ एक ही मंच पर सिनेमा, साहित्य, संस्कृति और समाज का फ्यूज़न देखने को मिलेगा। यहाँ कभी चर्चा के द्वारा आपको भिखारी ठाकुर जीवंत लगेंगे तो कभी पहली भोजपुरी फ़िल्म 'गंगा मइया तोहके पियरी चढ़ाइबो' की सुगंध अनुभव होगा। कभी छठ, कहँरवा, जँतसार सुनाई देगा तो कभी मोती बी ए, धरीक्षण मिश्र की रचनाओं के साथ ही कबीर-रैदास भी सुनाई देंगे। 'सबरंग' के इस मंच पर लोरी, सोहर और पचरा का स्वर लहरेगा तो कभी पाटन देवी, थावें वाली माता की प्रार्थना की जायेगी। राजनैतिक चर्चा, सामाजिक सरोकारों पर चर्चा के साथ ही मानवीय मूल्यों के अवमूल्यन पर भी विचार किया जाएगा। इन सबके बीच फिल्मों को तो छोड़ा ही नहीं जा सकता है। यहाँ धमाकेदार नृत्य होगा तो कोकिल-सुर का साम्राज्य होगा। गीत, नृत्य, संगीत के साथ ही फ़िल्मी गॉशिप और आपके चहेते फ़िल्मी कलाकारों को सम्मानित करने का आयोजन किया जा रहा है। कुल मिलाकर 'सबरंग' में फुल पैकेज इंटरटेनमेंट रंग नजर आएगा।udaybhagat@gmail.com
> भोजपुरी की एक अपनी पहचान है। भोजपुरी साहित्य की एक अपनी पहचान है। बात साहित्य की हो, समाज की हो, पत्र-पत्रिकाओं की हो, संस्कृति की हो या सिनेमा की, अपने हर रूप में भोजपुरी ने अपना चटक रंग सब पर डाला है। इसी क्रम में पिछले चार वर्षों से भोजपुरी-पंचायत पत्रिका प्रकाशित होती है। चाहे आप पत्रिका का कलेवर देंखे या विषय-वस्तु, हर स्तर पर पत्रिका अपनी सजग दृष्टि डालती नजर आती है। उसी क्रम में 'भोजपुरी-पंचायत' अपना वार्षिकोत्सव 'सबरंग' आयोजित करती है। प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष का 'सबरंग' 3 सितम्बर को नवीन भाई ठक्कर ऑडिटोरियम, विले पार्ले, मुम्बई आयोजित किया जा रहा है। 'भोजपुरी-पंचायत' के संपादक और 'सबरंग' के आयोजक श्री कुलदीप श्रीवास्तव के अनुसार इस बार का आयोजन कुछ विशेष है। निश्चित ही सबरंग एक ऐसा आयोजन है, जहाँ एक ही मंच पर सिनेमा, साहित्य, संस्कृति और समाज का फ्यूज़न देखने को मिलेगा। यहाँ कभी चर्चा के द्वारा आपको भिखारी ठाकुर जीवंत लगेंगे तो कभी पहली भोजपुरी फ़िल्म 'गंगा मइया तोहके पियरी चढ़ाइबो' की सुगंध अनुभव होगा। कभी छठ, कहँरवा, जँतसार सुनाई देगा तो कभी मोती बी ए, धरीक्षण मिश्र की रचनाओं के साथ ही कबीर-रैदास भी सुनाई देंगे। 'सबरंग' के इस मंच पर लोरी, सोहर और पचरा का स्वर लहरेगा तो कभी पाटन देवी, थावें वाली माता की प्रार्थना की जायेगी। राजनैतिक चर्चा, सामाजिक सरोकारों पर चर्चा के साथ ही मानवीय मूल्यों के अवमूल्यन पर भी विचार किया जाएगा। इन सबके बीच फिल्मों को तो छोड़ा ही नहीं जा सकता है। यहाँ धमाकेदार नृत्य होगा तो कोकिल-सुर का साम्राज्य होगा। गीत, नृत्य, संगीत के साथ ही फ़िल्मी गॉशिप और आपके चहेते फ़िल्मी कलाकारों को सम्मानित करने का आयोजन किया जा रहा है। कुल मिलाकर 'सबरंग' में फुल पैकेज इंटरटेनमेंट रंग नजर आएगा।udaybhagat@gmail.com
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