Wednesday, January 16, 2013
भोजपुरी टीम की मराठी फिल्म
आप सभी को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम। सबसे पहले आप सभी को मकर संक्रांति की ढेर सारी बधाई . भारतीय संस्कृति में हर त्योहार का अपना अलग महत्व है। त्योहारों के मनाने की परंपरा भी अलग-अलग है। त्योहारों की तिथि का निर्धारण काल गणना के सुनिश्चित आधार पर किया जाता है। धर्म के आधार पर मकर संक्रांति की महत्ता का विशेष कारण है। हिन्दु धर्मावलिबियों द्वारा मान्य देवी देवताओं में अधिकांश की उत्पत्ति व अवतरण पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में हुई है। धर्मशास्त्रों में ऐसे काल विशेष अत्यधिक पवित्र व शुभ माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि सूर्य के उत्तरायण रहने के छह मास के शुभ काल में शरीर त्याग करने वाले व्यक्ति का दुबारा जन्म नहीं होता। ऐसे जीवन ब्रहम को प्राप्त होते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के इंतजार में भीष्म पितामह ने वाण शैया पर पड़े होने के बाद भी अपने प्राण को छह माह तक रोके रखा। मकर संक्रांति को पवित्र नदी, तालाबों में स्नान करने के बाद गरीबों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। खैर, अब बात करते हैं मध्यमवर्ग की, कहने को तो मध्यमवर्ग मेरी मराठी फिल्म का नाम है लेकिन इस नाम में ही सम्पूर्ण विश्व की व्यथा छिपी है . हमारा समाज हमारी दुनिया आर्थिक आधार पर तीन वर्गों में बंटी हुई है , उच्च वर्ग, मध्यमवर्ग और निम्न वर्ग . इन तीनो वर्गों में मध्यमवर्ग ही ऐसा वर्ग है जिसकी उन्नति और प्रगति पर दुनिया अपने विकास को आंकती है . प्रसिद्द फिल्मकार सत्यजीत रे ने अपनी फ़िल्मी सफ़र को इसी वर्ग के इर्द गिर्द रखा क्योंकि यह वही वर्ग है जिसकी मजबूती पर देश की मजबूती टिकी होती है, यह वही वर्ग है जो समाज को नयी दिशा देता है , कोई भी आन्दोलन, कोई भी बदलाव तब तक सफल नहीं होता जब तक इस वर्ग का उसे समर्थन हासिल ना हो . अमरीका मे सबसे ज़्यादा मध्यम वर्ग है,इसलिए अमरीका विश्व मे सबसे आगे है, पर इस वर्ग की विडंबना ही है की यह वर्ग उस मछली की तरह है जो पानी के गंदा होने की शिकायत करते-करते उसके बिना रहने की बात करने लगा है. हमारी मराठी फिल्म मध्यमवर्ग भी इसी केंद्र विन्दु पर आधारित है . साल 2013 की यह मेरी पहली फिल्म है जिसकी शूटिंग मैंने पूरी की है . फिल्म के निर्देशक है हैरी फर्नांडिस जिन्होंने भोजपुरी में मेरे साथ विधाता भूमिपुत्र, संतान जैसी फिल्मे की है . हैरी और मेरी दोनों की मराठी बहुत अच्छी है पर हम भोजपुरिया ही हैं , इस फिल्म से एक और भोजपुरिया जुड़े है जिनका नाम है सुजीत तिवारी जो इस फिल्म को प्रस्तुत कर रहे हैं। सुजीत तिवारी का तो भोजपुरी फिल्मो से रिश्ता उतना ही पुराना है जितनी पुरानी हमारी फिल्म इंडसट्रीज़ है . उनके दादा जी स्वर्गीय रामायण तिवारी जी भोजपुरी की पहली फिल्म के निर्माण से ही जुड़े थे , जबकि उनके पिताजी ने सौ से भी अधिक फिल्मो में काम किया है . यानी हम भोजपुरियों की तिकड़ी से हमारे मध्यमवर्ग को मजबूती मिली है . फिल्म जल्द ही प्रदर्शित होगी और मुंबई में हमारे भाईचारे को मजबूत करेगी .
अगले शनिवार फिर आपसे अपने दिल की बात शेयर करूँगा , फिलहाल दिल्ली की कडकडाती सर्दी के बीच एक चैनल के क्राइम बेस शो की शूटिंग में व्यस्त हूँ , साथ ही एक भोजपुरी चैनल की लौन्चिंग का भी हिस्सा बनना है . इस बारे में अगले शनिवार चर्चा करूँगा .
आपका रवि किशन
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