आहत हैं भोजपुरी फिल्मो से जुड़े लोग
भोजपुरी फिल्मो के साठ साल के इतिहास में वर्तमान दशक भोजपुरी का स्वर्णिम युग माना जाता है क्योंकि इस दौर में ना सिर्फ भोजपुरी फिल्मो को लोकप्रियता मिली बल्कि कई समारोह भोजपुरी फिल्मो के नाम पर होने लगे। अब जबकि भोजपुरी फिल्म जगत अपनी ऊंचाई पर है तो इसकी शुरुवात करने वालो की हो रही उपेक्षा फिल्म जगत से जुड़े लोगो को खेल रही है। फिल्म जगत से जुड़े कई लोगो ने भोजपुरी के नाम पर समारोह करने वालो को आड़े हाथो लेते हुए भोजपुरी फिल्मो के जनक स्वर्गीय रामायण तिवारी को उचित सम्मान देने की बात कही है। हाल ही में संपन्न हुए एक अवार्ड समरोह में फिल्म वितरक व निर्माता विजय यादव ने कार्यक्रम के एंकर और आयोजको पर जानबूझकर कर स्वर्गीय तिवारी की उपेक्षा का आरोप लगाया है।
विजय यादव ने कहा की भोजपुरी की बात आती है तो लोग स्वर्गीय विश्व्नाथ शाहाबादी और स्वर्गीय नाज़िर हुसैन के लिए दो शब्द कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं लेकिन स्वर्गीय रामायण तिवारी का नाम लेना भी वो उचित नहीं समझते हैं जबकि रामायण तिवारी ना सिर्फ बिहार के पहले सिने कलाकार थे बल्कि पहली भोजपुरी फिल्म का निर्माण भी उनकी ही पहल पर हुई थी और शूटिंग भी उनके ही गाँव मनेर में हुई थी। यही नहीं पहली फिल्म के बाद अगली फिल्म का निर्माण भी उन्होंने खुद किया। और तो और बिहार में शूट हुई पहली हिंदी फिल्म धरती कहे पुकार के की शूटिंग भी उन्होंने अपने गाँव में करायी थी और उस दौर के सुपर स्टार जीतेन्द्र और नंदा खुद उनके घर में ही रुके थे। रामायण तिवारी के पोते फिल्म फाइनेंसर व निर्माता सुजीत तिवारी , निर्देशक जगदीश शर्मा, लेखक निर्देशक संतोष मिश्रा , फिल्म प्रचारक उदय भगत ने भी रामायण तिवारी की फ़िल्मी अवार्ड या किसी अन्य बड़े समारोह में उपेक्षा की निंदा की है। udaybhagat@gmail.com
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