Tuesday, November 15, 2011

के के नयी उड़ान




देखना हो अगर हमारे पंखों का परवाज़..
आसमां से कह दो ज़रा और ऊँचा हो जाये...
आसमां की ऊँचाई जितनी भी हो के.के.गोस्वामी के ख्वाबों से बड़ी तो नहीं हो सकती... वरना अपने छोटे कद के कारण लोगों के कौतुहल का कारण बने के.के.गोस्वामी एक्टर बनने का ख्वाब ही क्यों देखते..? के.के. ने न केवल ख्वाब देखा बल्कि अपने तसव्वूरों को तस्वीरों में ढालकर लोगों के सामने एक नयी चुनौती भी पेश कर दी... जिस कद-काठी को लोग एक अभिशाप की तरह देखते हैं, वही कद-काठी के.के.गोस्वामी के लिए एक वरदान साबित हुई...
शक्तिमान, जूनियर जी, इधर कमाल उधार धमाल, शाकालाका बूमबूम, सोनपरी, चाचा चौधरी, ssshhhh कोई है, विक्राल और गबराल, सहित लगभग चालीस टीवी सेरिअलों में अपना कमाल दिखा चुके के.के.जब जॉनी लीवर जैसा कॉमेडियन बनने की तमन्ना लिए मुंबई की सरज़मीं पर आये तो खुद ही कॉमेडी की वजह बन गए... लोगों के होंठो पर तैरती मुस्कान और चुभते तानों ने उन्हें विचलित तो किया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.. छोटे-मोटे रोल्स से गुजरता उनका सफ़र धीरज कुमार के सीरियल "कुछ भी हो सकता है" तक पहुंचा...और यही उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ... इस सीरियल में उन्होंने इ के गबरू दादा का रोल इतनी शिद्दत से निभाया कि आगे चलकर यही नाम उनकी पहचान बन गया...
"गबरू दादा" को छोटे पर्दे के दर्शक तो पहचानते ही हैं... भोजपुरी दर्शक भी उनसे खूब वाकिफ़ है.. 'रखिया लाज अंचरवा के', 'मृत्युंजय', 'सईयाँ के साथ मडईया में', 'देवरा बड़ा सतावला' और 'सात सहेंलिया' सहित दर्जनों फिल्मों का मनोरंजन कर चुके के.के.गोस्वामी खुद भोजपुरी भाषी हैं, इसिलिय इन फिल्मों से उन्हें खास लगाव है.. लेकिन के.के. किसी हद में बंधना नहीं चाहते.. बहरहाल वो इस वक़्त सब टीवी के टीआरपी नंबर 1 पर चल रहा सीरियल 'गुंटर-गुं' में काफी व्यस्थ्य हैं...
एक आम आदमी की तरह के.के.गोस्वामी के दिल में भी अभी बहुत-सी ख्वाहिशें बाकि हैं.. लेकिम उन्हें मुकद्दर ने अबतक जो दिया है, वो उससे पूरी तरह संतुष्ट हैं... बकौल के.के. कामयाबी का मज़ा तभी है, जब वो मुश्किलों के रास्ते से आये.. उम्मीद है कि इस छोटे कदवाले के.के. की बड़ी सीख उनके चाहनेवालों के काम आएगी..

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