Saturday, June 30, 2012
Preview - Jwalamandi - Ek Prem Kahani
औसत पर मनोरंजक फिल्म - ज्वालामंडी - एक प्रेम कहानी ......
बैनर - राधा कृष्णा प्रोडक्शन
निर्देशक - जगदीश ए शर्मा
निर्माता - राजू सिंह . मधु सिंह प्रस्तुत
संगीत - राजेश रजनीश
कलाकार - रवि किशन , रानी चटर्जी, अवधेश मिश्रा, विजय , लवी रोहतगी, गोपाल राय एवं ब्रिजेश त्रिपाठी.............
बरसो पहले हिंदी में महेश भट्ट की एक फिल्म आई थी सड़क , जिसमे एक किन्नर कोठे मालकिन की जाल में फंसी अभिनेत्री पूजा भट्ट को पाने के लिए संजय दत्त एडी चोटी का जोर लगा देते हैं और अंततः वो अपने मकसद में कामयाब होते हैं. इसी विषय को लेकर भोजपुरी में बनी है ज्वालामंडी - एक प्रेम कहानी . सड़क में कुल तीन सशक्त किरदार थे , यहाँ भी ऐसा ही है. वहाँ भी महारानी की भूमिका में सदाशिव अमरापुरकर ने अपनी छाप छोड़ी थी यहाँ भी ज्वाला के किरदार में अवधेश मिश्रा अपनी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं.
कहानी - फिल्म की कहानी शुरू होती है एक छोटे से गाँव से जहां किशन ( रवि किशन ) और राधिका ( रानी चटर्जी ) एक दुसरे से बेहद प्यार करते हैं. राधिका के मामा ( गोपाल राय ) किशन के सामने शर्त रखते हैं की अगर राधिका को पाना है तो पैसे वाला बनना होगा. एक साल की मोहलत ले किशन बनारस आ जाता है जहाँ अपने दोस्त दीपक ( विजय ) की मदद से उनकी मुलाकात पाण्डेय ( ब्रिजेश त्रिपाठी ) से होती है. उनकी ही बदौलत किशन रिक्शा चलाकर काफी पैसा कमाता है और जब वापस अपनी राधिका से मिलने से आता है तो पता चलता है की मामा ने उसकी शादी कहीं और करा दी है. अपने दोस्त दीपक की प्रेमिका चंदा ( लवी रोहतगी) , जो की ज्वालामंडी की वेश्या रहती है को ज्वाला बाई ( अवधेश मिश्रा) के चुंगल से छुड़ाने के लिए किशन फिर से बनारस आता है . जहां उसे राधिका नज़र आती है . फिर शुरू होती है अपने प्यार को पाने की जद्दोजहद .
संगीत -
आम तौर पर भोजपुरी फिल्मो की सफलता में संगीत का काफी योगदान होता है. यही वजह है की फिल्मो में ढूंस ढूंस कर गाने रखे जाते हैं. ज्वालामंडी में भी कुल दस गाने हैं. राजेश रजनीश ने संगीत पर मेहनत तो की है पर कुछ गाने हिंदी की धुनों को याद दिला देता है . दस में से दो को छोड़ कोई गाना ऐसा नहीं है जिसे सिनेमाहाल से बाहर निकाल कर लोग याद रख सकेंगे .
अभिनय -
अभिनय इस फिल्म का सबसे सशक्त पहलू है . रवि किशन ने एक प्रेमी की भूमिका में काफी अच्छी एक्टिंग की है. फिल्म के क्लाइमेक्स में उनका एक्शन भी लोगो को तालियाँ बजने पर मजबूर कर देता है. रानी चटर्जी राधिका के किरदार में जांची है . ब्रिजेश त्रिपाठी ने भी काफी अच्छा अभिनय किया है . उनका लुक उनके बातचीत में विशुद्ध देसीपन झलकता है. नए अभिनेता विजय और लवी रोहतगी ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है. फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है अवधेश मिश्रा का अभिनय . किन्नर की भूमिका में उन्होंने पूरी फिल्म की पकड़ को कायम रखा है . उनकी हर अदा और हर संवाद पर दर्शक तालियाँ बजाने पर मजबूर हो जायेंगे. चूँकि फिल्म की कहानी उनपर ही केन्द्रित है , इसीलिए अगर उन्हें इस फिल्म का हीरो कहा जाये तो गलत नहीं होगा.
तकनिकी पक्ष -
निर्देशक जगदीश ए. शर्मा भोजपुरी फिल्म इंडसट्रीज़ में आने से हिंदी की कई फिल्मो का निर्देशन कर चुके हैं , इसीलिए तकनिकी तौर पर उनकी फिल्मे अच्छी होती है. यहाँ भी उन्होंने अपनी काबिलियत का परिचय दिया है. अच्छे लोकेशन और अच्छी फोटोग्राफी के कारण फिल्म का लुक अच्छा है. फिल्म का बेकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा है . फिल्म की कहानी मनोज हंसराज ने लिखी है जिसमे नवीनता का अभाव है. पटकथा भी औसत है. हाँ सुरेन्द्र मिश्रा का संवाद कुछ दृश्यों में अच्छा बन पड़ा है खासकर ज्वाला के दृश्यों में.
निष्कर्ष -
हिंदी फिल्म सड़क की कहानी को तोड़ मरोड़ कर बनी इस फिल्म को औसत फिल्म ही कहा जा सकता है. फिल्म में काफी मार धाड़ है पर तीन घंटे की फिल्म में एक भी पुलिस दिखाई नहीं देता . ज्वाला बाई जिस तरह बात बात पर खून खराबा करती है उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे उसे मालूम हो यहाँ ना तो पुलिस आएगी ना ही उस पर कारवाई होगी. लेकिन फिर भी भोजपुरिया दर्शको से लिहाज से ज्वालामंडी एक प्रेम कहानी एक मनोरंजक फिल्म है .
By UDAY BHAGAT
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